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क्रेच के लिए अब भुगतान करेंगी कंपनियां, जानें क्यों

महिला कर्मियों को उनके मां बनने के बाद काम पर लौटने में आसानी हो और वो नौकरी व अपने बच्चे के प्रति अपने दायित्व के बीच संतुलन बना पाएं, इसके लिए कर्नाटक सरकार ने एक अद्भुत पहल की है. जानिये कर्नाटक सरकार महिलाओं के लिए कौन सा महत्वपूर्ण कदम उठाया है.

Kids Playing In Creche Kids Playing In Creche
मेधा चावला
  • नई दिल्ली,
  • 23 दिसंबर 2016,
  • अपडेटेड 12:56 PM IST

मिनिस्ट्री ऑफ लेबर के मैटरनिटी बेनेफिट एक्ट 1961 के तहत हर ऑफिस में, जहां 30 से ज्यादा महिला कर्मचारी हैं, वहां क्रेच की सुविधा अनिवार्य है. यह सुविधा कुछ कंपनियों में देखने को मिलती है, पर अधि‍कांश निजी कंपनियों में यह सुविधा नदारद है.

ऐसे में एक वर्किंग वुमेन के लिए अपने बच्चे और ऑफिस दोनों दायित्वों को साथ लेकर चलना मुश्क‍िल होता है. लिहाजा, कर्नाटक सरकार ने इस ओर एक अनोखी पहल की है.

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कर्नाटक सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर राज्य में स्थ‍ित सभी निजी कंपनियों को कहा है कि वो कंपनी में काम करने वाली सभी महिला कर्मचारियों को क्रेच के लिए भुगतान करें. राज्य स्थि‍त सभी कंपनियों के लिए इसे अनिवार्य कर दिया गया है.

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राज्य सरकार ने निजी कंपनियों में कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाली महिलाओं से संबंधि‍त 15 निर्देश जारी किए हैं, जिसमें क्रेच के लिए भुगतान भी शामिल है. इसके अलावा कंपनियों को महिला कर्मचारियों को पिक एंड ड्रॉप की सुविधाएं भी देनी होंगी. साथ ही यह भी सुनिश्च‍ित करना होगा कि महिलाओं की ड्रॉपिंग आख‍िर में न हो.  




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